बून्दी(अभिषेक जैन)। लंका गेट रोड, रेतवाली महादेव मंदिर में श्री पुष्कर दास जी महाराज के द्वारा नानी बाई का मायरा कथा में चौथे दिन कहा नानी बाई के ससुराल वाले सभी लोग मिलकर नरसी मेहता जी को मायरा लेकर आने के लिए निमंत्रण भेजते हे। 90 साल के जोशी जी पत्रिका लेकर जूनागढ़ की ओर रवाना होते हे। जोशी जी चलने में समर्थ नहीं होने के कारण नगर अंजार से बाहर भी नहीं निकलते और रात हो जातीl इधर भगवान को चिंता होती मेरे भक्त के कुंकुपत्री कैसे पहुंचेगी। इतने में ठाकुर जी का विमान आता हे और जोशी जी को उसमें बैठा कर सीधे जूनागढ़ छोड़ देता हे। जोशी जी नरसी जी को पत्रिका देते हे। इधर मेहता जी नगर अंजार जाने की तैयारिया करते हे। और भाई बंधुओं को साथ में चलने के लिए कहते हे परंतु साथ में कोई नहीं चलता। नरसी जी परिवार वालों से गाड़ी मांगते हे परन्तु उन्हें गाड़ी भी कोई नहीं देता। खुद नरसी जी बाड़े में जाकर टूटी गाड़ी और बूढ़े बेलों को लेकर जोड़ते हे। टूटी गाड़ी थोड़ी सी चलती ओर बिखर जाती। इधर ठाकुर जी को चिंता होती ओर उनकी गाड़ी सुधारने भगवान द्वारकाधीश स्वयं किशना खाती बन कर कर आते हे और गाड़ी को सुधारते हे। भगवान के गाड़ी सुधारने के बाद गाड़ी विमान की तरह चलती हे और पलक झपकते ही नगर अंजार आ जाता है। हमारे जीवन की गाड़ी भी खराब हो तो हम अपनी गाड़ी को भगवान के भरोसे छोड़ देते हे तो उस टूटी गाड़ी को भगवान पार लगा देते हे। बुधवार को ये प्रंसग महाराज द्वारा सुनाया गया। अंत में सभी भक्तों ने सामूहिक आरती की। चौथे दिन की कथा में ताराचंद गर्ग,भंवर लाल सोनी, रुद्रेश शर्मा, कन्हैंया लाल शर्मा, ब्रजमोहन गर्ग, राम प्रसाद सोमानी, आदि उपस्थित रहे।