भारत विकास परिषद के विशेष बाल संस्कार शिविर में संस्कार, सेवा और संस्कृति का मिला संगम

भीलवाड़ा(मूलचन्द पेसवानी)। भारत विकास परिषद शाखा विवेकानंद द्वारा आयोजित विशेष बाल संस्कार शिविर में गुरुवार को एक अनोखे और प्रेरणादायक आयोजन के अंतर्गत परिषद के रीजनल संपर्क प्रमुख गोविंद प्रसाद सोडाणी का जन्मदिन सेवा और संस्कार के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कांवाखेड़ा, सेवा बस्ती व अंबेडकर नगर के लगभग 90 बच्चों की उपस्थिति रही।

जन्मदिन समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और गुरुजनों को प्रणाम कर की गई। इस अवसर पर सोडाणी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जन्मदिन को केवल खुशियां मनाने का अवसर नहीं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक आचरण के साथ धन्यवाद और प्रार्थना का दिन समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें, भगवान की पूजा करें, माता-पिता को प्रणाम करें, और घर पर ही हवन करें। भगवान को जल अर्पित कर आशीर्वाद लें कृ यही जन्मदिन की सार्थकता है।

सोडाणी ने तिलक की परंपरा का महत्व भी बताया और कहा कि तिलक केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि बुद्धि, सौभाग्य और देशभक्ति का संकेत है। उन्होंने बताया कि तिलक में प्रयुक्त कुंकुम देश की पवित्र मिट्टी का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे मस्तक पर धारण कर हम भारत माता के प्रति आदर व्यक्त करते हैं।

शिविर में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन हुआ कृकुल्हड़ ग्रुप द्वारा सभी बच्चों को स्टील की गिलास वितरित की गईं तथा प्लास्टिक के उपयोग को त्यागने की शपथ दिलाई गई।

सत्कार ग्रुप ने राधा-कृष्ण, हनुमान, राम-लक्ष्मण के दिव्य चित्र एवं संस्कार पुस्तिकाएं वितरित कीं। दंत चिकित्सा परामर्श शिविर में बच्चों के दांतों की जांच की गई और रामस्नेही चिकित्सालय की ओर से सभी को ब्रश और पेस्ट दिए गए।

शाखा अध्यक्ष गिरीश अग्रवाल ने जानकारी दी कि शिविर में भागीदारी 100 से अधिक बालकों तक पहुंच चुकी है। यह शिविर 9 जून से 15 जून तक आयोजित किया जा रहा है जिसमें प्रतिदिन राष्ट्रभक्ति, संस्कृति, आत्मविकास और पर्यावरण जैसे विषयों पर गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

प्रांतीय संपर्क संयोजक रजनीकांत आचार्य ने बताया कि बाल्यावस्था में दिए गए संस्कार ही राष्ट्र की नींव को मजबूत करते हैं। चैथे दिन संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ता अजय अग्रवाल और निश्चल बहेड़िया ने पारंपरिक खेलों के माध्यम से बच्चों में अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का संचार किया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट जैसे महंगे खेलों के स्थान पर देशज खेलों को अपनाना चाहिए जो शारीरिक विकास के साथ-साथ सामूहिकता भी सिखाते हैं।

पतंजलि योग संस्थान से योग शिक्षक दुर्गालाल जोशी ने बच्चों को योग और प्राणायाम की जानकारी दी और नियमित अभ्यास के लाभ बताए। संगीत शिक्षिका मधुबाला यादव ने बच्चों को “देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें” गीत सिखाया। साथ ही बाल संरक्षण, नारी सम्मान और पर्यावरण पर आधारित पोस्टर वितरित किए गए।

शिविर के संचालन में मनोज माहेश्वरी, शिवनारायण इनाणी, बालकिशन पारीक, राजेन्द्र प्रसाद पारीक और स्नेहलता इनाणी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। शिविर का अवलोकन प्रताप शाखा अध्यक्ष प्रेम नारायण मिश्र एवं उमा मिश्र ने किया और मुक्त कंठ से आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि “ऐसे शिविर आज के समय में समाज के लिए अनिवार्य हैं।”

यह बाल संस्कार शिविर न केवल बच्चों में नैतिक मूल्यों का संचार कर रहा है, बल्कि एक संस्कारित भारत की दिशा में भारत विकास परिषद का सशक्त कदम सिद्ध हो रहा है। शिविर का समापन 15 जून को प्रातः 8 बजे घुमंतू समाज के पदाधिकारियों की उपस्थिति में किया जाएगा।